• पहले चरण में 114 % तो चौथे चरण में मिली 166 % उपलब्धि
• दिसंबर 19 से मार्च 16 तक चला सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 अभियान
बलिया। जनपद के पाँच ब्लॉकों में दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक चार चरणों में सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया। अभियान में छूटे लक्षित बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं से अधिक टीकाकरण किया गया। चार चरणों में जिले के पाँचों ब्लॉकों में शत-प्रतिशत टीकाकरण किया गया। वहीं हर चरण में किए टीकाकरण की उपलब्धि लक्ष्य से अधिक हासिल हुई है। यह अभियान जिले के चिन्हित नगरीय इलाकों, मुरली छपरा, हनुमानगंज, बांसडीह, रसड़ा ब्लॉक में चलाया गया।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ पीके मिश्रा ने बताया कि नवजात शिशुओं और बच्चों में होने वाली जानलेवा बीमारियों जैसे- पोलियो, खसरा-रूबेला, रोटा वायरस, डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खांसी आदि से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण बेहद जरूरी है। सरकार नवजात शिशुओं और बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यदि बच्चों का टीकाकरण समय से किया जाए तो बच्चे जीवन भर स्वस्थ और खुशहाल रहेंगे।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ ए के मिश्रा ने बताया कि सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान में दो तरह के बच्चो को शामिल किया गया था। पहला लेफ्ट आउट-जिन बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा है। दूसरा ड्राप आउट-ऐसे बच्चे जिन्होंने एक या दो टीके लगवाने के बाद बीच में अन्य टीके नहीं लगवाये।
डॉ एके मिश्रा ने बताया कि अभियान के तहत चौथे और अंतिम चरण में जन्म से लेकर दो वर्ष तक के छूटे हुए 2176 बच्चों और 412 गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया गया था जिसमें 3041 बच्चों एवं 685 गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। अभियान के तहत चिन्हित ब्लॉकों में लक्षित 483 सत्र के सापेक्ष 485 सत्र लगाए गए। उन्होने बताया कि इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाले इस मिशन का उद्देश्य है कि वर्ष 2020 तक सभी बच्चों का टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं।
अभियान में मलिन बस्तियों, दूर-दराज के इलाकों एवं ईट- भट्ठों और निर्माण साइटों पर रहने वाले परिवारों के टीकाकरण पर जोर दिया गया। क्योंकि इन स्थानों पर रहने वाले परिवार एक से दूसरे जगह स्थानांतरित करते रहते हैं। इसलिए सामान्य अभियान के दौरान इनके छूटे जाने की आशंका बनी रहती है। टीकाकरण न होने वाले या फिर आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों को अभियान के तहत ग्यारह तरह की बीमारियों से बचाने वाले टीके लगाए गए।