कोई चाँद पर घर बसाने की तैयारी कर रहा था। कोई मंगल ग्रह पर पानी तलाश रहा था। कोई दूसरा सूरज बना रहा था तो कोई क्लोन से जीव बना रहा था और उसमें जान भी डाल रहा था, कोई सुपर पावर मशीन बना कर ये जानने की कोशिश कर रहा था कि पृथ्वी कैसे बनी। कोई बहते पानी की दिशा मोड़ रहा था। कोई पूरे पूरे जंगल खत्म करे दे रहा था।।
और कोई अपनी ताकत दिखाने के लिये धरती का सीना चीर कर प्रमाणु परीक्षण कर रहा था और कोई इसकी जानकारी दे रहा था कि आने वाले कल में कब पानी गिरेगा या कब तूफ़ान आयेगा।।
गोया कि खूब मन लगा कर *खुदाई दावा* होने लगा था
इंसान तरक्की करते करते ऊपर वाले के ही काम में हस्तक्षेप करने लगा था भूल गया था कि वो सिर्फ़ एक इंसान है।
तरक्की करता हुआ इंसान इंसानियत से कोसो दूर हो गया हर वो इंसान जिसको ऊपर वाले ने ताकत बक्शी वो अपने से कमज़ोर को दबाने लगा आंखे दिखाने लगा ज़्यादती करने लगा, जिस कुदरत से व प्राकृती से इंसान को फ़ायदा उठाना था और उठा रहा था, अपनी हरकतों से उसी प्राकृती को अपना दुश्मन बना बैठा। आज आंखे तरेरने वाला व दूसरों को मारने की धमकी देने वाला अमेरिका अपने ही लोगों को लगातार मरते हुये देख रहा है। आज दुनिया को अपनी ताकत दिखाने वाला चीन प्राकृतिक आपदा के गुस्से का शिकार बन रहा है।आज कोरिया का तानाशाह किमजोन्ग अपनी मौत का इंतज़ार कर रहा है। इसी तरह से पूरी दुनिया के कयी देश अपने आप को कुदरत के आगे बहुत मज़बूर व लाचार महसूस कर रहे हैं।
इस तरह से वक्त के तमाम ताकतवर लोगों को ऊपर वाला एक संदेश दे रहा है कॉरोना वायरस के माध्यम से ये बता रहा है कि इंसानो तुम अपनी हद भूल रहे हो तुम्हारी बड़ी बड़ी तरक्की तुम्हारी बड़ी सी बड़ी ताकत मेरे एक छोटे से वायरस से भी नहीं जीत सकती हर इंसान के उम्र की एक मियाद है उम्र के उस मियाद का सही इस्तेमाल करने के बजाये तुम अपना पराया करते करते जानवर से भी बदतर हो गये इतनी नफ़रत भर ली के अपने भाई जैसे लोगों का ही कत्ल करने लगे।
शायद आज के हालात से साफ़ लग रहा है के ये हम लोगों के लिये एक सबक है। बावजूद इन सब बातों से सबक लेने के हम सिर्फ़ इसी बात पर ही अपना फ़ोकस किये हैं कि फ़लाँ कौम के लोगों से कोई चीज़ मत खरीदो, फ़लाँ कौम के लोगों को इस गली से मत गुज़रने दो उस रास्ते से मत जाने दो, भगवा झन्डा जिस दुकान पर जिस ठेले पर लगा हो वहां से सामान खरीदो, हरा झण्डा जहाँ लगा हो वहां से सामान खरीदो इस कौम के लोग ऐसे हैं उस कौम के लोग वैसे हैं
कुल मिलाकर इस कुदरती आपदा से भी सबक ना लेते हुये इंसानियत को ताक पर रख कर जो जितनी नफ़रत फ़ैला पा रहा है वो अपने आपको उतना कामयाब महसूस कर रहा है।
हमेशा से एक दूसरे पर मर मिटने वालों में नफ़रत भरी जा रही है आस पडोस में रहने वालों को हिन्दू मुसलमान में बाँटा जा रहा है उन लोगों के मन में नफ़रत डाली जा रही है जिन्होंने कभी धर्म के फ़र्क को समझा ही नहीं अपने देश के लोगों में ऐब तलाशने में और खूब भद्दे भद्दे कमेन्ट्स करने से मन नहीं भरा तो अब गल्फ़ कन्ट्रीज़ के लोगों के आचरण का पोस्टमार्टम करने बैठ गये वहां की महिलाओं पर भद्दी भद्दी बातें करते हुये इस बात का भी ख्याल नहीं रखा कि इन सब नफ़रतों की बातों का खामियाज़ा बेचारे वो लोग भुगतते हैं जिनको इन नफ़रतों के सौदागरों से कोई मतलब नहीं होता नफ़रत फ़ैलाने में आम आदमीयों के साथ साथ शीर्ष पर बैठे हुये सभ्य व सम्मानित लोग भी बाज़ नहीं आ रहे हैं वहां की महिलाओं पर भद्दी भद्दी बातें करते हुये ये भूल गये कि
सऊदी में 63 लाख नॉन-मुस्लिम
ओमान में 16 लाख नॉन-मुस्लिम
क़तर में 13 लाख नॉन-मुस्लिम
कुवैत में 11 लाख नॉन-मुस्लिम
बहरीन में 9 लाख नॉन-मुस्लिम
दुबई में 9 लाख नॉन-मुस्लिम
टोटल 1 करोड़ 21 लाख नॉन-मुस्लिम गल्फ़ कंट्रीज़ में जॉब कर रहे है।
लेकिन कुछ समझदार लोगों की वजह से इनकी नौकरी के साथ-साथ हिंदुस्तान का मान सम्मान भी दांव पर लगा दिया है क्योंकि की इन नफ़रतों को सन्ग्यान में लेकर UAE गल्फ़ कन्ट्रीज़ विरोध में उतर रही हैं और लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं के वहां के शीर्ष ऐसी बातों को कतयी पसंद नहीं कर रहे हैं ।
ऐसा सिर्फ़ इसलिये हो रहा है कि tv डिबेट में तो नफ़रत परोसी जाती है अपनी बात कहते हुये प्रवक्ता से लेकर कार्यकर्ता तक और news एन्कर तक अल्पसंख्यकों को मुसलमानों को कोई भी अपशब्द बोलने में ज़रा भी गुरेज़ नहीं करते हैं।
सोशल मीडिया में तो लोग नफ़रत फ़ैलाने में अपनी ताकत झोंके ही हुये है लेकिन ये अपशब्द देश के अंदर व देश के लोगों तक ही सीमित रहता तो ठीक था लेकिन अब माहौल खराब करने वाले अपनी सारी सीमाएं पार करके अपशब्द बोल रहे हैं।
इन सब नफ़रतों की बातों से देश की जनता भी कन्फ़्यूज़ है
कि वो गरीबी से लड़े बेरोज़गारी से लड़े अर्थव्यवस्था से लड़े
कॉरोना से लड़े या फ़िर इस बढ़ती हुयी *नफ़रत* से लड़े ।।