कोरोना वायरस में म्युटेशन :
-क्या होता है म्युटेशन?
हर जीव में डी एन ए उसके जीवन का आधार होता है। यह मूलतः चार प्रकार के सूक्ष्म लेकिन जटिल प्रकार के नाइट्रोजिनस बेस के आपस मे एक लंबी श्रृंखला से बना होता है। इसी डी एन ए से कई प्रकार के आर एन ए बनते हैं, जो कि कोशिकाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत सारे प्रोटीन्स बनाते है। इसके छोटे टुकड़े को जो कि कोई आर एन ए बना सके उसे जीन कहते है। हर जीव का डीएनए अपने आप मे अलग होता है और जब वो प्रजनन करते है तो अपने डीएनए की एक कॉपी वो अपनी संतानों को देते है। डीएनए के बेसों में कोई भी बदलाव म्युटेशन कहलाता है।
- क्यों होता है म्युटेशन ?
डीएनए के बेसों में परिवर्तन के कई कारण हो सकते है। सबसे प्रमुख कारण है उसका सही ढंग से कॉपी न बनाना। डीएनए से बनता है आरएनए एवं उससे बनते है प्रोटीन्स। कुछ प्रोटीन्स का काम डीएनए एवं आरएनए को कॉपी करना होता है। जो प्रोटीन डीएनए को कॉपी करते है वो काफी सशक्त होते है और उनमें ऐसी व्यवस्था होती है कि वो गलती न करे। लेकिन जो प्रोटीन आरएनए से आरएनए बनाते है उनमें यह व्यवस्था नही होती और वो सत प्रतिशत कॉपी नही कर पाते। ऐसी स्थिति में वायरस के आरएनए में कई सारे बदलाव आ जाते है और वह म्युटेटेड कहलाता है।
- कोरोना वायरस में म्युटेशन।
वायरस में जैविक पदार्थ या तो डीएनए हो सकता है या फिर आरएनए। कोरोना वायरस में यह आरएनए होता है। इसको कॉपी करने के लिए जो प्रोटीन चाहिए उसे आरएनए आधारित आरएनए पोलीमेरेस (RDRP) कहते हैं। चूंकि यह कॉपी करते वक़्त कई सारी गलतिया करता है अतः वायरस में म्युटेशन हो जाता है मतलब की उसके बेसों की सृंखला में परिवर्तन। जाहिर है जब आरएनए में परिवर्तन होगा तो उससे बनने वाले प्रोटीन में भी परिवर्तन होगा। अतः जो कोट प्रोटीन बनेगा तो उसके भी त्रिविमिय संरचना में परिवर्तन संभव है। अगर यह परिवर्तन ऐसा है कि वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए प्रोटीन/दवाइयां इससे सुगमता से नही बंधते तो फिर वो प्रोटीन अथवा दवाई इस पर कारगर नही रहेगी। संयोग से कोरोना में म्युटेशन की दर काफी कम पायी गयी है।
- अलग अलग देशों में वैज्ञानिकों ने मरीजों से लिये गए नमूनों में वायरस के जैविक पदार्थ आरएनए को संकलित किया है। भारत के राजधानी दिल्ली स्थित ICGEB नामक संस्था के डॉ दिनेश गुप्ता की टीम ने भारत के एक संक्रमित मरीज से लिये गए नमूने के आरएनए को संकलित करने के पश्चात उसे अन्य देशों के विषाणुओं के आरएनए से तुलना किया। साथ ही उन्होंने यह देखने का प्रयत्न किया कि मनुष्यो में उपलब्ध mi-आरएनए (एक विशेष प्रकार का छोटा आरएनए) में से किसमें यह क्षमता है कि वो वायरस के आरएनए से बंध कर उसे नष्ट कर सकता है। अपने अध्य्यन में इस टीम ने यह पाया कि miRNA hs-miR-27b वायरस के एक जीन से सुगमता से बंध सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह शोध सिर्फ एक सैंपल पर आधारित है अतः इसको सभी के ऊपर लागू नही कर सकते है।
कोरोना वायरस के म्युटेशन अन्य तरीकों के बारे में एक लेख मेरे मित्र डॉ कैलाश भारद्वाज द्वारा लिखा गया है जो उत्तराखंड में साइंटिफिक ऑफिसर हैं।
डॉ. विनय कुमार बरनवाल
सहायक प्राध्यापक
वनस्पति विज्ञान विभाग
स्वामी देवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय
मठ लार, देवरिया