गुनाहों से निजात की रात है शब-ए-बरात
सलेमपुर, देवरिया। इस्लामी महीने शाबान की 14 वीं तारीख की रात मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाए जाने वाला शब-ए-बरात का पर्व गुनाहों से बख्शिश व गुनाहों से निजात पाने की रात है।यह रात हजारों रातों से बेहतर है। इस रात को सच्चे दिल से मांगी गई हर दुआएं खुदा कुबूल फरमाता है। लिहाजा इस बार शब -ए-बरात के दिन हमें कोरोना वायरस से मुल्क को महफूज रखने के लिए भी दुआएं करनी चाहिए। शब-ए-बरात के दिन मस्जिदों व कब्रिस्तानों को खूबसूरत ढंग से सजाया जाता है।
इस मौके पर हलवा पकाकर फ़ातिहाख्वानी व कुरानख्वानी भी की जाती है। शब-ए-बरात दो शब्दों से मिलकर बना है--शब+बरात। शब का अर्थ होता है-रात, जबकि बरात का अर्थ होता है-खुशी। यानि गुनाहों से माफी दिलाने वाली खुशियों की रात। शब-ए-बरात की अहमियत पर रौशनी डालते हुए सलेमपुर तहसील क्षेत्र के भठवा धरमपुर निवासी जैनुल अख्तर व मंजूर आलम ने बताया कि शब-ए-बरात की रात काफी अहमियत, फजीलत, बरकत व रहमत भरी रात है।इस रात को रहमत के फरिश्ते जमीं पर उतर जाते हैं। वे हर एक दरवाजे पर हाजिरी देते हुए यह देखते हैं कि कौन सा बन्दा क्या कर रहा है। अगर इस रात को अपनी इबादत के जरिए बन्दा अपने रब को राजी कर ले, तो उस पर साल भर तक खुदा की रहमतें बरसती हैं। इस रात को खुदा खुद फरमाता है कि जिस बन्दे को जो कुछ मांगना हो, मुझसे मांग ले। इस रात को सच्चे दिल से मांगी गई हर एक दुआएं खुदा कुबूल फरमाता है। इसी रात को खुदा अगले साल भर के लिए अपने बंदों को दी जाने वाली रोजी-रोटी का बजट सहित तमाम कार्य योजनाएं भी तैयार करता है। इस रात को अगर बन्दा सच्चे दिल से अपनी गुनाहों से तौबा करते हुए आइंदा गुनाह न करने का वादा करे, तो खुदा उस बन्दे के साल भर आगे व साल भर पीछे तक के सभी गुनाहों को माफ कर देता है। ऐसी रवायत है कि शब-ए-बरात की रात पैगम्बर मुहम्मद सल्ल०मक्का स्थित जन्नतुलबकी नामक कब्रिस्तान में जाकर वहां दफनाए गए मुर्दों के गुनाहों की मगफिरत के साथ-साथ लोगों की भलाई व सलामती की दुआएं किया करते थे।
लिहाजा हमे चाहिए कि इस बेशकीमती रात को कुरान की तिलावत, नफ़ील नमाज, दरूद व कलमा जैसी इबादतों में गुजारते हुए अपने व पूर्वजों के गुनाहों की माफी, समाज व मुल्क में अमन सलामती व बेहतरी के लिए खुदा से दुआएं करें।वहीं लॉक डाउन की स्थिति में अपने घरों में ही इबादत करते हुए कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी खुदा से दुआ करें।
शब-ए-बरात पर विशेष रिपोर्ट-रवीश पाण्डेय