विकास का स्वरूप बदलना होगा कोरोना के बाद : डाॅ. तारकेश्वर नाथ तिवारी

सभी 720 के लगभग जिला मुख्यालयों पर मेडिकल इंजीनियरिंग उच्च शिक्षा एवं शोध की सुविधा देश की राजधानी मैं उपलब्ध सुविधाओं के बराबर की होनी चाहिए . 
इससे प्रवासी समस्या से निजात मिलेगी। 


आवश्यक होने पर चिकित्क शिक्षक वैज्ञानिक डॉक्टर इंजीनियर आदि का सुविधा अनुसार ट्रान्सफर भी किया जा सकता है। शिक्षा एक समान होनी चाहिए। 


लोगों का एक जगह से दूसरी जगह आने जाने की समस्या से भी निजात मिलेगी जिससे परिवहन के साधनों पर होने वाला व्यय एवं लोगों के समय में बचत होगी।


करोना काल के बाद विकास की गति को सही दिशा देने के लिए इको फ्रेंडली विकास जो हर जिलों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन कृषि एवं पशुपालन आधारित संसाधन मानव संसाधन आदि को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त छोटे एवं मझोले उद्योग हर जिलों में स्थापित किए जाएं जिससे कि वहां के संसाधनों का उपयोग उचित एवं इको फ्रेंडली ढंग से किया जा सके और स्थानीय स्तर पर पर्याप्त रोजगार उपलब्ध हो सकें यह प्रयास पर्यावरण को बचाने एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के कारण लोगों के समय की बर्बादी अपने माता-पिता बच्चों से दूर रहने की समस्या एवं कष्ट आदि से बचाएगा। बड़े शहरों में जनसंख्या घनत्व एवं वहॉ उपलब्ध शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार आदि के सुविधाओं के लालच में लोगों का गांव से शहरों की तरफ होने वाले पलायन से बड़े शहरों के भू जल स्तर सीवेज एवं औद्योगिक गतिविधियों से नदी एवं भूगर्भ जल के प्रदूषण एवं पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। परिवहन के साधनों में होनेवाले अनावश्यक खर्च जो सिर्फ रोजगार स्वास्थ्य शिक्षा के कारण होते हैं  इससे उत्पन्न होने वाली दूसरी समस्यायें जैसे मार्ग दुर्घटना एवं स्वास्थ्य संबन्धी समस्या से भी बहुत हद तक निजात मिलेगी।