अवधेश दूबे और महेंद्र पाल छत्तीसगढ़ स्थित भिलाई स्टील प्लांट में लोहा पिघलाने का काम करते थे। पांच दिन पहले भिलाई से साईकिल लेकर अयोध्या स्थित अपने घर के लिए निकले हैं। आज इलाहाबाद में उनकी साईकिल पंचर हो गयी। वो पंचर बनाने वाले मिस्त्री को ढूढ़ रहे थे तभी उनकी मुलाकात मेरे मित्र सुनील उमराव से हो गयी। सुनील उनके सामने कुछ सहायता का प्रस्ताव रखते हैं। प्रस्तावित सहायता में से कुछ वो स्वीकार करते हैं बाकी के लिए वो मना कर देते हैं। फौलाद पिघलाने वाले हाथों को शायद किसी के सामने फैलाने की आदत नहीं थी।
सुनील ने उनके कुछ चित्र लिए। तभी सुनील की नजर उनकी साइकिल के चेन कवर पर पड़ी। चेन कवर पर लिखा था-
" श्रम शक्ति, प्रदेश की प्रगति "।
इस वाक्य के पीछे की विडंबना के तमाम दॄश्य हम सब 25 मार्च से दिन-प्रतिदिन भारत की सड़कों पर देख रहे हैं।
शरद मेहरोत्रा
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#शरद मेहरोत्रा और सुनील उमराव दोनों हमारे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावास सर गंगा नाथ झा होस्टल के वरिष्ठ रहे है☺🙏
"श्रम शक्ति, प्रदेश की प्रगति"