मंगल मंगल हुंकारा में,
सूरज उग्यो गिगनारा में,
विद्रोही आग भड़क उठी,
धर्म विरुद्ध हथियारां में।
आवाज़ कहें,आग़ाज़ कहें,
या कह दें गोरों की शामत इसे,
मंगल कहें या दंगल कहें,
या कहें चोरों की क़यामत इसे।
ह्यूसन,बाफ की मौत कहें,
या बेरकपूर की प्रथम चिंगार इसे,
ग़दर सत्तावन का अग्रदूत,
या आज़ादी का प्रथम सिंगार इसे।
गोरां री खाट खड़ी कर दी,
धोरां री पाल बड़ी कर दी,
माटी में ख़ून मिला दिन्यो,
मंगल गदरां री झड़ी कर दी।
कम्पनी रा गलियारां में,
घर,गली,महल,तिबारां में,
मंगल चिंगारी पहुँच गई,
मुग़ल ज़फ़र दरबारां में।
हिंद फ़िज़ा फिर गुंज उठी,
दिल्ली चलो रा नारां में,
रोटी कमल निशान बन्या,
जन मन रा इश्तिहारां में।
मंगल मंगल हुंकारा में,
सूरज उग्यो गिगनारा में,
विद्रोही आग भड़क उठी,
धर्म विरुद्ध हथियारां में।
क्रांति के अग्रदूत महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पाण्डेय जी को शत शत नमन 🙏🏻
शालिनी कपूर
भाजपा