बडे संजीदगी के साथ युवाओं ने मनाया भगत सिंह का जन्मोत्सव : रवीश पांडेय
सलेमपुर,देवरिया। तहसील क्षेत्र के ग्राम गुमटही में युवाओं ने बड़ें संजीदगी के साथ शाहिद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मोत्सव मनाया।इस मौके पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।गोष्ठी को संबोधित करते हुए समाजसेवी रवीश पाण्डेय ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत को नाको चना चबाने पर मजबूर करने वाले भगत सिंह के विचार युवाओं के लिए प्रतीक के समान है।गुलाम भारत को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले भगत सिंह आज मर कर भी हम भारतवासियों के दिल मे जिंदा हैं।गोष्ठी को ईश्वर दत्त पाण्डेय,अभिषेक पाण्डेय,सौरभ पाण्डेय गोल्डन,अभिषेक पाण्डेय मणि, अवनीश पाण्डेय,सुनील मिश्रा,धनंजय मिश्रा,दुर्गेश मिश्रा राजू,नरेंद्र पाण्डेय मुन्ना आदि ने संबोधित किया।
*भगत सिंह की जयंति पर विशेष*
*दिल_से_निकलेगी_न_मर_कर_भी_वतन_की_उल्फ़त।*
*मेरी_मिट्टी_से_भी_ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी'*
आज का दिन लाल चन्द फ़लक के इस शेर को गुनगुनाते हुए आजा़दी के एक ऐसे मतवाले को याद करने का दिन है! जिसके लिए आजा़दी ही उसकी दुल्हन थी।आज का दिन ज़मीन-ए-हिन्द की आज़ादी के लिए हंसते हंसते फांसी पर चढ़ जाने वाले उस परवाने को याद करने का दिन है जिसके ज़ज्बातों से उसकी कलम इस कदर वाकिफ थी कि उसने जब इश्क़ भी लिखना चाहा तो कलम ने इंकलाब लिखा। आज का दिन! शहीद-ए-आजम भगत सिंह को याद करने का दिन है।भगत सिंह भारत मां के वही सच्चे सपूत हैं जिन्होंने अपना लहू वतन के नाम किया तो आज हमें आज़ादी का ज़श्न हर साल मनाने का मौका मिलता है। आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मदिन है. 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में (अब पाकिस्तान में) उनका जन्म हुआ था।गुलाम भारत में पैदा हुए भगत सिंह ने बचपन में ही देश को ब्रितानियां हुकूमत से आज़ाद कराने का ख़्वाब देखा। छोटी उम्र से ही उसके लिए संघर्ष किया और फिर देश में स्थापित ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिलाकर हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया।वह शहीद हो गए लेकिन अपने पीछे क्रांति और निडरता की वह विचारधारा छोड़ गए जो आज तक युवाओं को प्रभावित करता है।आज भी भगत सिंह की बातें देश के युवाओं के लिए किसी प्रतीक की तरह बने हुए हैं।